1. दर्दनाक शुरुआत: फ़्लाइट AI171 और हादसे का सनसनीखेज सार
12 जून 2025 को दोपहर 1:38 बजे, अहमदाबाद से लंदन जाने वाली Air India फ्लाइट AI171 (Boeing 787‑8, VT‑ANB) टेकऑफ़ के कुछ ही सेकंड बाद स्टाल हो गई और B.J. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में जा धँसी, जिसमें कुल 241 लोग मारे गए और एक आखिरकार बचा, शांत British‑Indian यात्री Vishwash Ramesh (apnews.com)। ये Boeing 787 ड्रीमलाइनर का पहला जानलेवा हादसा था—यह 2011 के बाद पहली बार किसी 787 की पूरी तरह क्षतिपूर्ति हुई ।
2. टैकऑफ़ पर सब कुछ गलत हुआ: ‘कॉन्फिगरेशन एरर’ कैसे बनी मंझधार
हादसे के शुरुआती विश्लेषण में तीन मुख्य तकनीकी पहलुओं पर ध्यान गया:
- फ्लैप्स और लैंडिंग गियर की गलत सेटिंग: CCTV और वीडियो में गियर डाउन और फ्लैप्स अप दिखे, जिससे लिफ्ट गायब हुई। ये क्लासिक टैकऑफ़ विन्यास की चूक है ।
- पायलट ऑपरेशनल एरर?: एक अनुभवी YouTuber-पायलट, Captain Steve ने सुझाव दिया कि को‑पायलट ने शायद फ्लैप्स की बजाय लैंडिंग गियर अप किया, जिससे फ्लैप्स पीछे छूट गए और लिफ्ट नहीं बनी (news.com.au)।
- इंजन ट्रस्ट और थ्रस्ट सेटिंग चेक: इंजनों में थ्रस्ट की कमी या गलती से स्लेटिंग— आठ हजार घंटे के अनुभवी Captain Sabharwal के साथ भी— 625 ft की ऊँचाई तक पहुंचने के बाद ड्रॉप दिखी ।
“वीडियो क्लिप में फ्लैप्स नहीं दिख रहे, गियर नीचे थे, और विमान स्टॉल हो गया”—aviation expert ABC ने भी इसी बात को सराहा ।
3. इंसानी गलती या सिस्टम फॉल्ट?: कौन गलत हो सकता है?
इंसानी गल्ती:
दोनों पायलट अनुभवी थे—Captain Sabharwal के 8,200 घंटे और Co‑pilot Clive Kundar के 1,100 घंटे—फिर भी अचानक गड़बड़ी अंदरूनी गलती से हुई होगी, जब फ्लैप्स/गियर गलत तरीके से चुन लिए गए (thesun.co.uk)।
मशीन या सिस्टम फॉल्ट:
- DGCA और बीओईएनजी टीम जाँच में शामिल, लेकिन फिलहाल कोई एन्हांस्ड सिस्टम अलार्म या कंप्यूटर फॉल्ट का सबूत नहीं मिला ।
- इंजिनलेस ट्रस्ट सेटिंग या फ्यूल सिस्टम की गड़बड़ी भी संभावित धारणाएँ हैं जिनकी जाँच चल रही है ।
सैबोटाज, बर्ड स्ट्राइक या ईंधन दूषण?
सारे विशेषज्ञों ने इन खतरों को खारिज किया—CCTV में पक्षी नहीं दिखे, और ईंधन कंटैमिनेशन या आतंक‑कार्रवाई की कोई सबूत नहीं ।
4. ‘कॉन्फिगरेशन अलर्ट’: सुरक्षा की आख़िरी रेखा
आज़ के विमानों में फ्लैप्स व गियर की गलत स्थिति के लिए सिस्टम अलर्ट होते हैं—‘कॉन्फिगरेशन अलर्ट’ जो टेकऑफ़ से पहले क्लॉक करते हैं। लेकिन इस मामले में:
- अलार्म के बाद भी पायलट ने रिएक्शन ना किया;
- या अलार्म सिस्टम ही फेल रहा, जिससे चेतावनी नहीं मिली;
- या दोनों घटकों में टेकऑफ़ इतना तेज़ था कि इंसानी प्रतिक्रिया और आवाजाही के बीच ही हादसा हो गया।
यानी अगर ये अलार्म समय पर या ठीक तरीके से काम करता, तो फ्लैप्स ग़लत सेटिंग पर लेकर टेकऑफ़ शायद टल सकता था।
5. आगे की राह: क्या कह रही है जांच और भविष्य की तैयारियाँ?
- DGCA ने Air India के 787 बेड़े पर फ्लैप/गियर इंस्पेक्शन, थ्रस्ट कंट्रोल टेस्ट, और कंट्रोल सिस्टमयुज के लिए तुरंत ऑडिट का आदेश दिया है
- Black‑box में मिले डेटा की गहन विश्लेषण हो रहा है—विशेष रूप से फ्लैप एंगल, गियर स्थिति, थ्रस्ट सेटिंग और पायलट के आवाज़ रिकॉर्ड पर ।
- Boeing, GE, FAA, NTSB जैसे अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ सहयोग कर रही हैं ताकि Boeing 787 की वर्ल्ड‑वाइड सेफ्टी और विश्वास बनाए रखा जाए (airwaysmag.com)।
- Air India ने जल्द ही AI171 जैसी फ्लाइट्स के लिए फ्लाइट नंबर बदलने की परंपरा अपनाई—AI159 अब Ahmedabad‑to‑London Gatwick उड़ान बनाएगी ।
निष्कर्ष – छोटा सा ‘कॉन्फिगरेशन एरर’ बना सबसे बड़ी त्रासदी
यह हादसा साबित करता है कि चाहे विमान कितना भी एडवांस हो, एक छोटी‑सी टेकऑफ़ सेटिंग की चूक – जैसे फ्लैप्स या गियर – इंसान और मशीन की समन्वित विफलता होकर भी भयावह परिणाम दे सकती है।
हमें उम्मीद है कि जांच की रिपोर्ट ये बताएगी: क्या असल में कॉन्फिगरेशन अलर्ट फेल हुआ, या इंसानी भूल ने टेकऑफ़ को घातक मोड़ दे दिया।
✨ भावनात्मक अंदाज़
एक-एक जीवन, हर एक परिवार… जो पंखों की उड़ान सपने देख रहे थे, वे कुछ ही मिनटों में बिखर गए। हमें उनसे सीखने और सुधारने की जिम्मेदारी है—ताकि भविष्य में यह त्रासदी दोहराई न जाए।